Wednesday 10 October 2012

हिन्दी ग़ज़ल के कुशल चितेरे


हिन्दी ग़ज़ल के कुशल चितेरे
                            -डाॅ.महेन्द्र अग्रवाल
हिन्दी ग़ज़ल के कुशल चितेरे - भाग 1 डाॅ. रोहिताश्व अस्थाना की नवीनतम सम्पादित कृति हैं. इसमें 22 गजलकारों की 14-14 संकलित हैं. इन गजलकारों में डाॅ. अजय जनमेजय, विज्ञानब्रत सूर्यदेव पाठक पराग, ऊषा यादव ऊषा, डाॅ. मधुभारती, राजेन्द्र व्यतित, बीरेन्द्र हमदम, सागरमीरजापुरी, डाॅ. सादिक नबाब सहर जैसे चर्चित गजलकारों के साथ कई अन्य रचनाकारों को भी स्थान दिया गया हैं.
डाॅ. रोहिताश्व अस्थाना ने हिन्दी गजल-उद्भव और विकास शीर्ष पर शोध किया हैं. इससे पूर्व उनके द्वारा नवीनतम हिन्दी गजलें, बहुरंगी हिन्दी गजलें, प्रतिनिधि हिन्दी गजलें, इन्द्रधनुषी गजलें, हिन्दी गजल पंचदशी आदि सम्पादित कृतियां प्रकाशित हुई है. इन सभी मंे उन्होंने गजल के साथ हिन्दी विशेषण जोड़ने का उपक्रम किया है. उनके मत में गजल जब हिन्दी में सोची, समझी और कही या लिखी जा रही है. तो उसके साथ हिन्दी का भाषिक विशेषण जुड़ना ही चाहिए .......... इनमें प्रतीक, बिम्व एवं उपमाएं प्रायः भारतीय परिवेश से ही ग्रहण की जाती हैं.’’ किन्तु यहाॅ पर इसकी विस्तृत चर्चा बेमानी हैं.
इस संग्रह में स्थापित गजलकारों के अतिरिक्त कुछ रचनाकारों की कुछ ऐसी गजलें भी हैं जो हिन्दी गजल की वास्तविकता पर प्रकाश डालती हैं
वर्ष भर की कोशिशांे का गुड़ यहाँ
एक क्षण में नष्ट कर गोबर किया
सभ्यता बनती  हजारों  वर्ष  में
हम सभी ने गाय और सुअर किया          पृ.149
अब तो इक या दो बच्चों पर रोक लगा देते
तुमने पाॅच-पाॅच  शिशुओं को वक्ष लगया  था पृ.120
कथ्य की नवीनता के बावजूद ऐसी गजल रचनाऐं गजल होने का एहसास नहीं कराती यांे इसमें अच्छी सुन्दर पठनीय गजलें भी हैं.
इस तरह के काव्य संग्रहों का  अपना महत्व होता है इसमें इधर  उधर बिखरे कवि-रचनाकार एक स्थान पर अध्ययन अवलोकन को उपलब्ध हो जाते हैं. इससे भविष्य में शोधार्थियों को मदद मिलती है और निश्चित कालखण्ड की रचनात्मक प्रवृत्तियों का निर्धारण भी सुगमता से हो जाता हैं. डाॅ. रोहिताश्व अष्थाना इस क्षेत्र मंे निरंतर कार्य करते रहें हैं के वह बधाई के पात्र हैं.
हिन्दी गजल के कुशल चितेरे भाग - 1/सं. डाॅ. रोहिताश्व अष्थाना, प्र.सं. 2007-08/मूल्य 200 रू.- प्र. सहयोगी साहित्यकार प्रकाशन बावन चुंगी हरदोई उ.प्र.



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