Sunday 6 November 2011


ग्वालियर के गली बाजार मोहल्ले, 
शोध कार्य सदैव श्रमसाध्य होते हैं और इस दिशा में जिज्ञासु प्रवृत्ति के लोग ही पहल करते हैं, ग्वालियर के गली बाजार मोहल्ले, माता प्रसाद शुक्ल की शोधकृति है, किन्तु उसका उद्देश्य किसी विश्वविद्यालय से कोई डिग्री पाना नहीं है. यह उनका अपनी मिट्टी स,े अपनी धरती से वह प्रेम है जो इस कृति के रूप में पुष्पित पल्वित  हुआ है, ग्वालियर ऐतिहासिक दृष्टि से सदैव महत्वपूर्ण नगर रहा है, अनेक राजवंशों का यहां शासन रहा, कुछ वर्णनों में वह बारहवीं शताब्दी तक के तथ्य ढूंढकर लाये हैं यद्यपि इसमें सत्रहवीं शताब्दी के बाद की जानकारियों की बहुलता है
यहां की गलियां, गोठ, गंज, गांव, मोहल्ले, बस्तियां और चौराहे कब कैसे स्थापित या विकसित हुए, कैसे उनका नामकरण हुआ उसका विस्तृत सचित्र विवरण इसमें है, निःसंदेह इस कठिन परिश्रम के लिए और भावी पीढ़ियों को इसे एक ऐतिहासिक दस्तावेज के रूप में सौंपने के लिए माता प्रसाद शुक्ल प्रशंसा और बधाई के पात्र हैं यह कृति ग्वालियर वासियों के लिए तो धरोहर की तरह है ही शोधार्थियों के लिए भी कम महत्व की नहीं है, इसके माध्यम से लेखक ने ऐतिहासिक महत्व की मज़ारों, दरगाहों, मठों, मंदिरों, गढ़ियों, किलों, बावड़ियों, आदि के विवरण के साथ-साथ उनके संरक्षण की आवश्यकता को भी रेखांकित किया है. इस ओर यदि जन सामान्य व शासन द्वारा पर्याप्त ध्यान दिया जाये तो उनका यह प्रयास और अधिक सफल सिद्ध होगा.
ग्वालियर के गली, बाजार, मोहल्ले/माता प्रसाद शुक्ल/पृ.सं.2010/मूल्य 300 रू./सांई प्रकाशन अटल जी वाली गली, ग्वालियर म.प्र.डॉ.महेन्द्र अग्रवाल

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