Sunday 6 November 2011


सात आवाज़ें-सात रंग
सात आवाज़ें-सात रंग, ओम प्रकाश चतुर्वेदी ‘पराग’ द्वारा संपादित ग़़ज़ल संग्रह है जिसमें बहुचर्चित ग़ज़लकार ओमप्रकाश यती, कमलेश भट्ट कमल, योगेन्द्र शर्मा, विज्ञान व्रत, ब्रजकिशोर वर्मा शैदी, देवेन्द्र शर्मा इन्द्र एवं सम्पादक ग़ज़लकार ओम प्रकाश चतुर्वेदी पराग की ग़ज़लें रचनाकारों के परिचय व आत्मकथ्य सहित संकलित हैं. 
सहयोगी सं,कलन जहां एक ओर समकालीन रचनाधर्मिता पर प्रकाश डालते हैं, वहीं शोधार्थियों के लिए भी उपयोगी होते हैं, एक साथ एक से अधिक रचनाकारों की रचनायें जहां  एक ओर समकालीन प्रवृत्तियों की उद्घोषणा करती हैं वहीं दूसरी ओर रचनाकारों की मानसिकता को समझने में मददगार सिद्ध होती है यों इसमें संकलित अधिकांश ग़ज़लकार नामचीन हैं और ग़ज़ल से इतर अन्य विधाओं में भी उन्होंने भली भांति हाथ आजमायें हैं.
यह सही है कि हिन्दी उर्दू ग़ज़ल का विवाद अभी थमा नहीं है और उनके अपने अपने पूर्वाग्रह अपनी जगह कायम हैं, फिर भी संपादक का यह कथन रेखांकित करने योग्य है कि ‘हिन्दी में जो ग़ज़लें लिखी जा रही हैं उन्हें किसी भी कसौटी पर परख लिया जाये वह सौ फीसदी खरी उतरेंगी, इस पुस्तक में प्रकाशित सात ग़ज़लकारों की ग़ज़लें मेरे कथन की पुष्टि करेंगी. यह सातों ग़ज़लकार ग़ज़लगोई के फन में माहिर हैं वहीं उनमें से प्रत्येक के अंदाजे बयां मंे एक अलग तरह की विशिष्टता है’’इसीलिए संकलित ग़ज़लकारों के यह शेर ऊपर लिखे गये क्रम में क्रमशः प्रस्तुत हैं-
1 खेल-खिलौने भूल गया सब मेले में
वो दादी का चिमटा लेकर घर आया 
2 विरोध अपना जताने का तरीका पेड़ का भी है
जहां से शाख काटी थी, वहीं से कांेपलें निकलीं 
3 गिड़गिड़ाहट पर तवज्जो कौन देता है भला
आपकी आवाज़ में प्रतिरोध का स्वर था कहां ?
4 बरसों ख़ुद से रोज़ बनी
तब जाकर कुछ बात बनी


उसने ख़ुद को ख़र्च किया 
और बताई आमदनी
5 दहकता गांव है जलते घरों से
मिलेगी कब निज़ात इन मंज़रों से 
6 वो ताज़ा ख़ून पीता आदमी का 
वो पीने का भी पानी छानता है 
7 न कोई देवता, शैतान, न ईश्वर तुम तो
पराग देह के मंदिर में आदमी रखना
निःसंदेह इन ग़ज़लों में अपने समय की आवाज़ भी है और भविष्य के प्रति एक दृष्टिकोण भी संग्रह पठनीय संग्रहणीय है और सम्पादक और प्रकाशक साधुवाद के पात्र हैं.
सात आवाज़ें-सातरंग/सं.ओम प्रकाश चतुर्वेदी‘पराग’/पृ.सं.2011/मूल्य 200 रू/प्रवाल प्रकाशन गाजियाबाद उ.प्र.डॉ.महेन्द्र अग्रवाल

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